कालिपुत्र कालीचरण महाराज — जीवन परिचय
🌺 जन्म एवं कुल परंपरा
कालिपुत्र कालीचरण जी महाराज का जन्म महाराष्ट्र राज्य के अकोला जनपद में एक धर्मपरायण क्षत्रिय कुल में
दिनांक २९ नवम्बर १९७७, प्रातः ६:२९ बजे हुआ।
पिता श्री धनंजय सराग, जो एक प्रतिष्ठित M.Sc. एग्रीकल्चर ऑफिसर रहे हैं, श्री गजानन महाराज के अनन्य भक्त हैं
और उन्होंने उन्हीं से स्वप्न में दीक्षा प्राप्त की थी।
माताजी — कैलाशवासी अखंड सौ. सुनीता सराग जी, परम शिवभक्त थीं, जो श्रावण मास में ब्रह्मलीन हो गईं।
महाराज जी परिवार में सबसे छोटे हैं। सबसे बड़े भ्राता अनंत जी, फिर बहन अर्चना जी, फिर भ्राता अनिरुद्ध जी,
और अंत में परम पूज्य कालिपुत्र श्री कालीचरण जी महाराज।
🌺 दिव्य जीवन का आरंभ
१० वर्ष की आयु तक एक सामान्य बालक की भांति जीवन व्यतीत किया, किंतु एक दुर्घटना ने जीवन की दिशा ही बदल दी —
जब पैर की हड्डी टूट गई, उसी समय काली माँ स्वयं प्रकट हुईं और उन्होंने महाराज श्री के पैर को चमत्कारिक रूप से जोड़ दिया।
उसी क्षण महाराज श्री के अंतःकरण में विचार आया — “आप कौन हैं?”
तब काली माँ ने कहा —
"अहं त्वा माता कालिका परमेश्वरी।"
तब से महाराज श्री को नित्य दर्शन, दिव्य अनुभूतियाँ व समाधि की अविरल अवस्था प्राप्त होने लगी। सांसारिक शिक्षा में रुचि समाप्त हो गई,
और आध्यात्मिकता की ओर संपूर्ण जीवन का झुकाव हो गया।
🌺 तपस्या व ब्रह्मचर्य व्रत
१४ वर्ष की आयु से ही महाराज श्री ने उग्र तपस्या आरंभ कर दी।
२० से २२ वर्ष की आयु में स्वयं महर्षि अगस्त्य जी का साक्षात्कार हुआ और उन्हीं से महाराज श्री को आजीवन ब्रह्मचर्य व सन्यास दीक्षा प्राप्त हुई।
महर्षि अगस्त्य जी के आदेशानुसार महाराज श्री ने केरल के पोथिगई मलई पर्वत में वर्षों तक साधना की।
महर्षि अगस्त्य जी ने आदेश दिया:
"तू काली माँ का पुत्र है, और तेरी कीर्ति इसी रूप में संसार में फैलेगी।"
🌺 महर्षि अगस्त्य जी का दिव्य स्वरूप
महर्षि अगस्त्य जी की आयु २७ लाख वर्ष से अधिक है, परंतु उनका स्वरूप २४ वर्ष के तेजस्वी युवक जैसा प्रतीत होता है।
इन्हीं ने भगवान श्रीराम को रावण-वध हेतु दिव्य धनुष-बाण प्रदान किया था। राक्षसों के संहार हेतु समुद्र का पान किया,
तथा वातापी और इल्वल जैसे असंख्य दैत्यों का नाश किया।
🌺 महाराज जी की साधना यात्रा
पिछले २७ वर्षों से महाराज श्री ने भारतवर्ष के अनेक शक्तिपीठों व गूढ़ स्थलों में तपस्या, राष्ट्र जागरण एवं धर्म संरक्षण हेतु साधना की:
- हरिद्वार
- हिमालय
- कामाख्या (असम)
- मायांग (असम)
- कोल्हापुर (महाराष्ट्र)
- सप्तश्रृंगगढ़
- मदुरै (तमिलनाडु)
- कुंभकोणम
- तिरुवन्नामलई
🌺 सार्वजनिक कार्य
महाराज श्री के नेतृत्व में अनेक लोककल्याणकारी, धार्मिक एवं राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कार्यों का आयोजन निरंतर होता रहा है:
- 🚩 गोरक्षा अभियान
- 🚩 हिंदू धर्म रक्षा जागरण
- 🚩 युवा प्रबोधन एवं राष्ट्र निर्माण
- 🚩 देवी भागवत कथा का आयोजन
- 🚩 ज्योतिष एवं तंत्र विज्ञान सम्मेलनों में दिव्य प्रवचन
- 🚩 छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती पर अभिषेक उत्सव
- 🚩 श्रावण महोत्सव का आयोजन
- 🚩 श्री कालिका अगस्तीश्वर महायज्ञ
- 🚩 भारतीय सैन्य दिग्विजय भद्रकाली महायज्ञ